Bilaspur, Chhattisgarh News, 19 September. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने अहम फैसले में राज्य के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है. मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति पीपी साहू की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरकार के वर्ष 2012 में बनाए गए आरक्षण नियम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में 21 अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं, जिस पर कोर्ट ने करीब दो महीने पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन सोमवार को फैसला आया है.
वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ सरकार ने आरक्षण नियमों में बदलाव करते हुए अनुसूचित जाति (SC) के आरक्षण को 4 प्रतिशत से घटाकर 16 से 12 प्रतिशत कर दिया। वहीं, अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 32 प्रतिशत कर दिया गया। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत रखा गया था। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण प्रतिशत में 12% की वृद्धि और अनुसूचित जाति के आरक्षण में चार प्रतिशत की कमी के संबंध में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके साथ ही कोर्ट में 21 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर सरकार के आरक्षण नियमों को अवैध करार दिया गया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, विनय पांडे और श्याम टेकचंदानी ने कहा कि सरकार का फैसला शीर्ष अदालत के निर्देशों और कानूनी प्रावधानों के खिलाफ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
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